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पाकिस्तान ने शिमला समझौते पर उठाया 'ऐतिहासिक कदम'! क्या बदल जाएंगे भारत-पाक रिश्ते? जानें पूरा मामला!
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पाकिस्तान ने शिमला समझौते पर उठाया 'ऐतिहासिक कदम'! क्या बदल जाएंगे भारत-पाक रिश्ते? जानें पूरा मामला!
सारांश (50 शब्द)
पाकिस्तान ने शिमला समझौता निलंबित करने का ऐलान किया, जिससे भारत-पाक रिश्ते में तनाव बढ़ सकता है। 1972 का यह समझौता शांति और द्विपक्षीय बातचीत का आधार था। अब कश्मीर और सीमा विवाद पर नए सवाल उठ रहे हैं। क्या होगा इसका असर?
शिमला समझौता क्या है, भाई?
चलो, इसे आसान भाषा में समझते हैं। शिमला समझौता 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक ऐतिहासिक करार था। 1971 के युद्ध के बाद, जिसमें बांग्लादेश बना, भारत की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के नेता जुल्फिकार अली भुट्टो ने इसे साइन किया। इसका मकसद था दोनों देशों में शांति और बातचीत को बढ़ावा देना।
शिमला समझौते के खास बिंदु
इस समझौते ने दोनों देशों को एक नई राह दिखाई। इसके कुछ मुख्य बिंदु हैं:
- द्विपक्षीय बातचीत: कश्मीर जैसे मुद्दों को बिना किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप के सुलझाना।
- नियंत्रण रेखा (LoC): 1971 युद्ध के बाद बनी सीमा को दोनों ने स्वीकार किया।
- शांति की प्रतिबद्धता: युद्ध या हिंसा से बचना और शांतिपूर्ण रिश्ते बनाना।
- युद्धबंदी: भारत ने 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को रिहा किया।
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Visit the Blog Postपाकिस्तान ने क्यों लिया यह कदम?
हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शिमला समझौते को “पुराना और बेकार” बताया। इसका कारण है अप्रैल 2025 का पहलगाम आतंकी हमला, जिसमें 26 लोग मारे गए। इसके जवाब में भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित किया, जिसे पाकिस्तान ने उकसावे के रूप में लिया। नतीजा? पाकिस्तान ने शिमला समझौता रद्द करने की बात कही।
भारत-पाक रिश्तों पर क्या असर?
यह खबर भारत-पाक रिश्तों के लिए बड़ा झटका है। आइए, इसके प्रभाव देखें:
- कश्मीर का मुद्दा: पाकिस्तान अब इसे संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर ले जा सकता है, जो भारत के लिए मुश्किल होगा।
- सीमा तनाव: LoC पर झड़पें बढ़ सकती हैं, क्योंकि समझौता इसे नियंत्रित करता था।
- कूटनीतिक रिश्ते: वीजा, व्यापार और हवाई यात्रा पहले ही बंद हैं, अब और दूरी बढ़ेगी।
- वैश्विक नजर: रूस जैसे देशों ने शिमला समझौते का समर्थन किया है, जो भारत के पक्ष में है।
आगे क्या होगा?
दोस्तों, यह पल दोनों देशों के लिए नाजुक है। भारत हमेशा कश्मीर को अपना हिस्सा मानता है और बातचीत पर जोर देता है। लेकिन पाकिस्तान इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाना चाहता है। शांति के लिए दोनों को संयम और समझदारी दिखानी होगी।
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आपके लिए क्या सीख?
यह घटना हमें बताती है कि शिमला समझौता जैसे करार कितने अहम हैं। यह हमें इतिहास, कूटनीति और अपने देश की नीतियों को समझने की प्रेरणा देता है। शांति के लिए हमें जागरूक और सक्रिय रहना होगा।
लेखक: अमित शर्मा, अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ, 10+ वर्षों का अनुभव।
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स्रोत: The Print, India Today, Al Jazeera
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