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पाकिस्तान ने शिमला समझौता निलंबित करने का ऐलान किया, जिससे भारत-पाक रिश्ते में तनाव बढ़ सकता है। 1972 का यह समझौता शांति और द्विपक्षीय बातचीत का आधार था। अब कश्मीर और सीमा विवाद पर नए सवाल उठ रहे हैं। क्या होगा इसका असर?
चलो, इसे आसान भाषा में समझते हैं। शिमला समझौता 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक ऐतिहासिक करार था। 1971 के युद्ध के बाद, जिसमें बांग्लादेश बना, भारत की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के नेता जुल्फिकार अली भुट्टो ने इसे साइन किया। इसका मकसद था दोनों देशों में शांति और बातचीत को बढ़ावा देना।
इस समझौते ने दोनों देशों को एक नई राह दिखाई। इसके कुछ मुख्य बिंदु हैं:
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Visit the Blog Postहाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शिमला समझौते को “पुराना और बेकार” बताया। इसका कारण है अप्रैल 2025 का पहलगाम आतंकी हमला, जिसमें 26 लोग मारे गए। इसके जवाब में भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित किया, जिसे पाकिस्तान ने उकसावे के रूप में लिया। नतीजा? पाकिस्तान ने शिमला समझौता रद्द करने की बात कही।
यह खबर भारत-पाक रिश्तों के लिए बड़ा झटका है। आइए, इसके प्रभाव देखें:
दोस्तों, यह पल दोनों देशों के लिए नाजुक है। भारत हमेशा कश्मीर को अपना हिस्सा मानता है और बातचीत पर जोर देता है। लेकिन पाकिस्तान इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाना चाहता है। शांति के लिए दोनों को संयम और समझदारी दिखानी होगी।
यह घटना हमें बताती है कि शिमला समझौता जैसे करार कितने अहम हैं। यह हमें इतिहास, कूटनीति और अपने देश की नीतियों को समझने की प्रेरणा देता है। शांति के लिए हमें जागरूक और सक्रिय रहना होगा।
लेखक: अमित शर्मा, अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ, 10+ वर्षों का अनुभव।
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स्रोत: The Print, India Today, Al Jazeera