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क्या कुंभ मेले ने बदल दी भारत की किस्मत? ₹2.8 लाख करोड़ का रहस्य!
सारांश
महाकुंभ मेला 2025 ने भारत की अर्थव्यवस्था को ₹2.8 लाख करोड़ का योगदान देकर नई ऊर्जा दी। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रभाव परिवहन, भोजन और बुनियादी ढांचे पर खर्च से आया। इसने 6.5% GDP वृद्धि में मदद की और स्थानीय व्यवसायों को चमकाया।
महाकुंभ का आर्थिक प्रभाव
महाकुंभ मेला 2025 सिर्फ आध्यात्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक आर्थिक शक्ति भी साबित हुआ। प्रयागराज में आयोजित इस मेले में 40-45 करोड़ श्रद्धालु शामिल हुए, जिन्होंने यात्रा, आवास और भोजन पर जमकर खर्च किया। परिणामस्वरूप, अर्थव्यवस्था में ₹2.8 लाख करोड़ का योगदान हुआ, जो भारत की आर्थिक वृद्धि को गति देने में मददगार रहा।
खर्च का ब्यौरा
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट की रिपोर्ट के मुताबिक, मेले में ₹90,000 करोड़ का प्रत्यक्ष खर्च हुआ, जिसमें परिवहन और खान-पान शामिल थे। ₹80,000 करोड़ का अप्रत्यक्ष प्रभाव स्थानीय दुकानों और सेवाओं से आया। इसके अलावा, ₹1.1 लाख करोड़ का प्रेरित प्रभाव देखा गया, जो बढ़ते निवेश और मांग से उत्पन्न हुआ। ये आंकड़े मेले की आर्थिक ताकत को दर्शाते हैं।
स्थानीय व्यवसायों की उड़ान
महाकुंभ ने छोटे व्यवसायों को भी चमकाया। लगभग 2 लाख विक्रेताओं ने ₹7,000 करोड़ की कमाई की। खाद्य और पेय क्षेत्र ने ₹6,500 करोड़ जोड़े, जबकि परिवहन क्षेत्र ने ₹37,000 करोड़ कमाए। एक चाय विक्रेता ने बताया कि उसने ₹25,000 प्रतिदिन कमाए, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था की ताकत को दर्शाता है।
GDP और भविष्य की राह
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने माना कि मेले ने Q4 में खपत को बढ़ाया, जिससे 6.5% GDP वृद्धि में योगदान मिला। यह मेला भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक ताकत का प्रतीक है। भविष्य में भी ऐसे आयोजन भारत को विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाए रखेंगे। #महाकुंभ2025
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स्रोत: यह जानकारी डन एंड ब्रैडस्ट्रीट की अप्रैल 2025 की रिपोर्ट और PTI से ली गई है, जो मेले के आर्थिक प्रभाव को सत्यापित करते हैं।
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