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अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं? पजेशन से पहले जान लें ये टैक्स और होम लोन के राज!

 

अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी

अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं? पजेशन से पहले जान लें ये टैक्स और होम लोन के राज!

सारांश 
अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी खरीदना रोमांचक है, लेकिन टैक्स और होम लोन की बारीकियां समझना जरूरी है। GST, इनकम टैक्स छूट, और होम लोन ब्याज के नियमों को जानें। सही जानकारी से आपका निवेश सुरक्षित और फायदेमंद होगा। पूरी जानकारी नीचे पढ़ें!


क्यों है अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी खरीदना खास?

दोस्तों, अगर आप अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं, तो ये आपके लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है। लेकिन, इसके साथ कुछ टैक्स और होम लोन से जुड़े नियम हैं, जिन्हें जानना बेहद जरूरी है। आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं, जैसे आपका कोई बड़ा भाई समझा रहा हो।


1. GST का खेल: क्या-क्या जानना जरूरी है?

  • GST लागू होता है: अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर 5% से 12% GST लगता है, जो प्रॉपर्टी के प्रकार (सस्ती या लग्जरी) पर निर्भर करता है।

  • इनपुट टैक्स क्रेडिट: बिल्डर को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता, इसलिए ये लागत आपकी जेब पर पड़ सकती है।

  • रेडी-टू-मूव प्रॉपर्टी: इन पर GST नहीं लगता, लेकिन अंडर-कंस्ट्रक्शन में ये लागू है।

टिप: बिल्डर से GST ब्रेकअप मांगें ताकि कोई छुपा खर्चा न आए।


2. होम लोन का फंडा: ब्याज और EMI का क्या है राज?

  • होम लोन की शुरुआत: अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी के लिए लोन डिस्बर्समेंट स्टेज में होता है, यानी बिल्डर को जैसे-जैसे जरूरत पड़ती है, बैंक पैसे देता है।

  • प्री-EMI ब्याज: पजेशन तक आपको प्री-EMI (केवल ब्याज) देना पड़ता है। पूरी EMI पजेशन के बाद शुरू होती है।

  • लोन की राशि: आमतौर पर प्रॉपर्टी वैल्यू का 80-90% लोन मिलता है, लेकिन बिल्डर की रेपुटेशन और आपकी क्रेडिट हिस्ट्री मायने रखती है।

सुझाव: प्री-EMI का बोझ कम करने के लिए लोन की राशि और टेन्योर सोच-समझकर चुनें।


3. इनकम टैक्स में छूट: कैसे बचाएं पैसे?

  • सेक्शन 24: होम लोन के ब्याज पर 2 लाख रुपये तक की छूट मिल सकती है, लेकिन ये पजेशन के बाद लागू होती है।

  • सेक्शन 80C: प्रिंसिपल रीपेमेंट पर 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है।

  • नोट: अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी के लिए प्री-EMI ब्याज पर टैक्स छूट तभी मिलेगी, जब प्रॉपर्टी 5 साल के अंदर पजेशन में आ जाए।

प्रो-टिप: अपने CA से सलाह लें ताकि टैक्स प्लानिंग सही हो।


4. जोखिम और सावधानियां: इन बातों का रखें ध्यान

  • बिल्डर की विश्वसनीयता: RERA रजिस्टर्ड बिल्डर चुनें। प्रोजेक्ट की डिलीवरी डेट और हिस्ट्री चेक करें।

  • पजेशन में देरी: अगर प्रोजेक्ट लेट होता है, तो आपका प्री-EMI का खर्च बढ़ सकता है।

  • कानूनी दस्तावेज: एग्रीमेंट टू सेल, RERA अप्रूवल, और लोन एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ें।

याद रखें: सस्ती डील के चक्कर में कानूनी पचड़े में न फंसें।


5. क्यों है ये सही समय?

  • बाजार की स्थिति: 2025 में रियल एस्टेट में निवेश के अच्छे मौके हैं। अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी की कीमतें रेडी-टू-मूव से कम होती हैं।

  • ब्याज दरें: RBI की नीतियों के आधार पर होम लोन की ब्याज दरें स्थिर हैं, जो निवेश के लिए अच्छा है।

  • भविष्य का लाभ: पजेशन के समय प्रॉपर्टी की वैल्यू बढ़ सकती है, जिससे आपको कैपिटल गेन मिल सकता है।



निष्कर्ष: स्मार्ट बनें, सही फैसला लें!

अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी खरीदना एक बड़ा कदम है, लेकिन सही जानकारी के साथ आप इसे सुरक्षित और फायदेमंद बना सकते हैं। GST, होम लोन, और टैक्स छूट के नियमों को समझें, बिल्डर की जांच करें, और अपने CA या फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें।

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स्रोत:

  • RERA Official Website

  • Income Tax India

  • GST Council


जानकारी का स्रोत:
इस ब्लॉग की जानकारी RERA, इनकम टैक्स इंडिया, और GST काउंसिल की आधिकारिक वेबसाइटों से ली गई है। इसके अलावा, रियल एस्टेट और होम लोन विशेषज्ञों के लेख और 2025 के रियल एस्टेट ट्रेंड्स से डेटा लिया गया है।