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लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा पर कैश कांड के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। यह समिति सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और वरिष्ठ वकील बी.वी. आचार्य से मिलकर बनी है। यह कदम न्यायिक अखंडता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। (48 शब्द)
भाई, कल्पना करो कि एक न्यायाधीश के घर में आग लगती है और दमकलकर्मी वहां जली हुई नोटों की गड्डियां पाते हैं। यही हुआ मार्च 2025 में दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर। यह घटना ने पूरे देश में हलचल मचा दी। आरोप है कि उनके घर से बड़ी मात्रा में अघोषित नकदी बरामद हुई, जो जली हुई थी। जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि यह एक साजिश है। लेकिन जांच रिपोर्ट्स ने इसे गंभीर बताया।
चलो, पहले इनके बारे में जानते हैं, जैसे कोई बड़ा भाई छोटे को समझा रहा हो। जस्टिस यशवंत वर्मा 2014 में दिल्ली हाई कोर्ट के जज बने। इससे पहले वे एक सफल वकील थे, टैक्स और कमर्शियल लॉ में विशेषज्ञ। उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए, जैसे आयकर मामलों में। लेकिन अब यह कैश कांड उनकी छवि पर सवाल उठा रहा है। याद रखो, न्यायाधीशों की ईमानदारी देश की न्याय व्यवस्था की नींव है। अगर ऐसे आरोप साबित होते हैं, तो यह पूरे सिस्टम पर असर डालता है।
यह सब पढ़कर लगता है ना कि न्याय व्यवस्था कितनी पारदर्शी होनी चाहिए? तुम्हें पता होना चाहिए कि ऐसे मामलों में ईमानदारी सबसे ऊपर है।
अब आते हैं मुख्य घटना पर। 12 अगस्त 2025 को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने 146 सांसदों के समर्थन वाली महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार किया। उन्होंने तीन सदस्यीय समिति बनाई:
यह समिति आरोपों की जांच करेगी और रिपोर्ट देगी। अगर साबित हुए, तो संसद में वोटिंग होगी। याद रखो, भारत में जजों का महाभियोग दुर्लभ है, लेकिन जरूरी जब विश्वास दांव पर हो।
भाई, यह सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि सबक है।
अगर तुम स्टूडेंट हो या कानून में रुचि रखते हो, तो समझो कि महाभियोग अनुच्छेद 124(4) के तहत होता है। यह प्रक्रिया लंबी है, लेकिन न्याय सुनिश्चित करती है।
समिति की रिपोर्ट आने के बाद संसद फैसला लेगी। अगर आरोप साबित नहीं हुए, तो जस्टिस वर्मा निर्दोष साबित होंगे। लेकिन अगर हुए, तो यह न्यायपालिका के लिए बड़ा झटका होगा। तुम्हें अपडेट रहना चाहिए – न्यूज ऐप्स फॉलो करो!
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