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1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान को मजबूत समर्थन का आश्वासन दिया। राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और हेनरी किसिंजर ने कहा कि वे पाकिस्तान को नहीं गिरने देंगे। यदि भारत फिर हमला करे तो अमेरिका हिंसक प्रतिक्रिया देगा। यह डीक्लासिफाइड दस्तावेजों से पता चलता है, जो यूएस-पाक संबंधों की जटिलता दिखाते हैं। (48 शब्द)
भाई, क्या तुम्हें पता है कि इतिहास कभी-कभी फिल्मों से ज्यादा रोमांचक होता है? 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध इसका जीता-जागता उदाहरण है। यहां अमेरिका ने पाकिस्तान को ऐसा वादा किया जो आज भी भू-राजनीति की दुनिया में चर्चा का विषय है। जैसे कोई बड़ा भाई छोटे को सलाह देता है, वैसे ही मैं तुम्हें बताता हूं कि यह वादा क्या था और क्यों महत्वपूर्ण है। यह सीख हमें बताती है कि अंतरराष्ट्रीय संबंध कितने जटिल होते हैं।
1971 का युद्ध सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच नहीं था; इसमें सुपरपावर शामिल थे। पाकिस्तान की हार के बाद, वह अमेरिका के करीब आया क्योंकि उसे भारत और सोवियत संघ से खतरा महसूस हो रहा था। निक्सन प्रशासन पाकिस्तान को अपना रणनीतिक साथी मानता था, खासकर चीन के साथ संबंध बनाने के लिए।
यह सब हमें सिखाता है कि geopolitics में दोस्ती हमेशा रणनीतिक होती है। #1971IndoPakWar #USPakistanRelations
अब आते हैं मुख्य वादे पर। मार्च 1972 में, निक्सन और किसिंजर ने पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के सचिव अजीज अहमद से मुलाकात की। किसिंजर ने स्पष्ट कहा: "हम पाकिस्तान को गिरने नहीं देंगे। यदि एक और हमला हुआ, तो हम हिंसक प्रतिक्रिया देंगे।" निक्सन ने भी कहा कि उनके दिल में पाकिस्तान के लिए गर्मजोशी है।
यह वादा सिर्फ शब्द नहीं था; अमेरिका ने जॉर्डन और ईरान के जरिए पाकिस्तान को हथियार भेजने की कोशिश की। लेकिन भारत के राजदूत को बताया गया कि अगर भारत सोवियत सहायता छोड़ दे तो अमेरिका पाकिस्तान की सैन्य मदद रोकेगा। रोचक बात यह है कि अमेरिका ने 87 मिलियन डॉलर की सहायता रोकी नहीं बहाल की।