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चीन के नए निर्यात नियमों ने भारत के इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को संकट में डाला है। रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई रुकने से उत्पादन खतरे में है। भारतीय कंपनियां समाधान के लिए चीन जा रही हैं और वैकल्पिक स्रोत तलाश रही हैं।
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Visit the Blog Postभारत में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की डिमांड आसमान छू रही है। लेकिन चीन के नए निर्यात नियमों ने सारा खेल बिगाड़ दिया। रेयर अर्थ मैग्नेट, जो EV मोटर और गाड़ियों के जरूरी हिस्सों में लगते हैं, अब आसानी से नहीं मिल रहे।
4 अप्रैल से लागू नियमों के तहत, हर मैग्नेट शिपमेंट के लिए एंड-यूज सर्टिफिकेट चाहिए, जो यह साबित करे कि इसका सैन्य उपयोग नहीं होगा। यह प्रक्रिया इतनी पेचीदा है कि अप्रैल में निर्यात 51% गिर गया। भारत में स्टॉक खत्म होने की कगार पर है!
भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार, इस संकट से जूझ रहा है। टाटा मोटर्स, महिंद्रा और मारुति सुजुकी जैसी कंपनियां चिंतित हैं। SIAM का कहना है कि जून से उत्पादन पूरी तरह ठप हो सकता है, जो EV और पारंपरिक गाड़ियों दोनों को प्रभावित करेगा।
हालात बिगड़ रहे हैं, लेकिन हौसला बरकरार है! एक प्रतिनिधिमंडल अगले हफ्ते चीन जाएगा ताकि आपूर्ति की रफ्तार बढ़े। साथ ही, कंपनियां वैकल्पिक स्रोतों जैसे ऑस्ट्रेलिया और वियतनाम की ओर देख रही हैं ताकि चीन पर निर्भरता कम हो।
यह संकट एक सबक है। भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट का घरेलू उत्पादन शुरू करना होगा। सरकार और ऑटो कंपनियों को मिलकर आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसा झटका न लगे।
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सूचना स्रोत: यह जानकारी TV9 Hindi, Punjab Kesari, Business Standard, News18, और Amar Ujala जैसे विश्वसनीय समाचार स्रोतों से ली गई है।